ऐ नए साल बता तुझ में नयापन क्या है ?
ऐ नए साल बता तुझ में नयापन क्या है ? हर तरफ़ ख़ल्क़ ने क्यों शोर मचा रखा
Newyear Poetry
ऐ नए साल बता तुझ में नयापन क्या है ? हर तरफ़ ख़ल्क़ ने क्यों शोर मचा रखा
इस नये साल पे ये सदा है ख़ुदा से सलामत रहे वतन हर एक बला से, न पलकों
परिंदों के चोंच भर लेने से कभी सागर सूखा नहीं करते, हवाओं के रुख सूखे पत्तो से अपना
उम्र भर चलते रहे हम वक़्त की तलवार पर परवरिश पाई है अपने ख़ून ही की धार पर,
जिस तरफ़ चाहूँ पहुँच जाऊँ मसाफ़त कैसी मैं तो आवाज़ हूँ आवाज़ की हिजरत कैसी ? सुनने वालों
हुस्न ए मह गरचे बहंगाम ए कमाल अच्छा है उससे मेरा मह ए ख़ुर्शीद जमाल अच्छा है, बोसा
जुज़ तेरे कोई भी दिन रात न जाने मेरे तू कहाँ है मगर ऐ दोस्त पुराने मेरे ?