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Miscellaneous

इतना एहसान तो हम पर वो ख़ुदारा करते

itna ehsan ham par wo khudara karte

इतना एहसान तो हम पर वो ख़ुदारा करते अपने हाथो से ज़िगर चाक हमारा करते, हमको तो दर्द …

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खून में डूबी सियासत नहीं देखी जाती…

खून में डूबी सियासत

खून में डूबी सियासत नहीं देखी जाती हमसे अब देश की हालत नहीं देखी जाती, उनके चेहरों से …

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आ जाओ मैं लोरी गा के सुना देता हूँ…

ye dil avezi e hayat na ho

आ जाओ मैं लोरी गा के सुना देता हूँ चाँद अपना है उसे छत पे बुला लेता हूँ, …

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दरिन्दे खून बहने का इंतज़ार करेंगे…

Bazmeshayari_512X512

दरिन्दे खून बहने का इंतज़ार करेंगे भरे पेट वाले अब भूखो पे वार करेंगे, वतन में क़त्ल ए …

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हर एक रूह में एक ग़म छुपा लगे है मुझे

har ek rooh me ek gam chhupa lage hai mujhe

हर एक रूह में एक ग़म छुपा लगे है मुझे ये ज़िन्दगी तो कोई बद्दुआ लगे है मुझे, …

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हर वक़्त किसी को मुकम्मल नज़ारा नहीं मिलता

har waqt kisi ko muqammal nazara nahi milta

हर वक़्त किसी को मुकम्मल नज़ारा नहीं मिलता उम्मीद जब रखो तो कहीं किनारा नहीं मिलता, वफाओं के …

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हर शख्स का जीना यहाँ आसान नहीं है…

har shakhs ka jina yahan aasaan nahi hai

हर शख्स का जीना यहाँ आसान नहीं है मुश्किल से मिले वो जो परेशान नहीं है, हर शख्स …

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रोज़मर्रा वही सब ख़बर देख कर…

रोज़मर्रा वही सब ख़बर

रोज़मर्रा वही सब ख़बर देख कर अब तो पत्थर हुआ ये ज़िगर देखिए, सड़के चलने लगी आदमी रुक …

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ज़िन्दगी का बोझ उठाना पड़ेगा…

zindagi ka bojh uthana padega

ज़िन्दगी का बोझ उठाना पड़ेगा गर ज़िन्दा हो तो दिखाना पड़ेगा, लगने लगे जो मसला ये ज़िन्दगी तो …

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तमाम उम्र कटी उसकी मेज़बानी में

tamam umr kati uski mezbani me

तमाम उम्र कटी उसकी मेज़बानी में बिछड़ गया था कभी जो भरी जवानी में, हमारे होने तलक सब …

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तुझे पुकारा है बे

तुझे पुकारा है बे इरादा

फिर हरीफ़ ए बहार

फिर हरीफ़ ए बहार हो बैठे

हर सम्त परेशाँ तिरी

हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने

सोच बदल जाती है

सोच बदल जाती है,हालात बदल जाते हैं

उजड़े हुए हड़प्पा के

उजड़े हुए हड़प्पा के आसार की तरह

निगाह ए यार के

निगाह ए यार के बदलने में कुछ देर नहीं लगती

कोई सुनता ही नहीं

कोई सुनता ही नहीं किस को सुनाने लग जाएँ

जानता हूँ कि तुझे

जानता हूँ कि तुझे साथ तो रखते है कई

मेरे उसके दरमियाँ ये

मेरे उसके दरमियाँ ये राब्ता है और बस

चल निकलती हैं ग़म

चल निकलती हैं ग़म ए यार से बातें क्या क्या

ऐसा है कि सब ख़्वाब

ऐसा है कि सब ख़्वाब मुसलसल नहीं होते

अब तक यही सुना

अब तक यही सुना था कि बाज़ार बिक गए

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तुझे पुकारा है बे

तुझे पुकारा है बे इरादा

फिर हरीफ़ ए बहार

फिर हरीफ़ ए बहार हो बैठे

हर सम्त परेशाँ तिरी

हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने