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Miscellaneous

एक जाम खनकता जाम कि साक़ी…

एक जाम खनकता जाम

एक जाम खनकता जाम कि साक़ी रात गुज़रने वाली है एक होश रुबा इनआ’म कि साक़ी रात गुज़रने …

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दूर तक छाए थे बादल और कहीं..

door tak chhaye the badal

दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न था इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न …

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जो हम पे गुज़रे थे रंज़ सारे, जो ख़ुद पे…

जो हम पे गुज़रे थे

जो हम पे गुज़रे थे रंज़ सारे, जो ख़ुद पे गुज़रे तो लोग समझे जब अपनी अपनी मुहब्बतों …

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नसीम ए सुबह गुलशन में गुलो से खेलती होगी

नसीम ए सुबह गुलशन

नसीम ए सुबह गुलशन में गुलो से खेलती होगी किसी की आख़िरी हिचकी किसी की दिल्लगी होगी, तुम्हे …

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किस एहतियात से उसने नज़र बचाई है

किस एहतियात से उसने

किस एहतियात से उसने नज़र बचाई है ज़माना अब भी समझता है आशनाई है, मेरे अज़ीज़ है इसका …

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उम्र भर चलते रहे हम वक़्त की तलवार पर

उम्र भर चलते रहे

उम्र भर चलते रहे हम वक़्त की तलवार पर परवरिश पाई है अपने ख़ून ही की धार पर, …

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जिस तरफ़ चाहूँ पहुँच जाऊँ मसाफ़त कैसी

जिस तरफ़ चाहूँ पहुँच

जिस तरफ़ चाहूँ पहुँच जाऊँ मसाफ़त कैसी मैं तो आवाज़ हूँ आवाज़ की हिजरत कैसी ? सुनने वालों …

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किए वादों का निभाना बाक़ी है

किए वादों का निभाना

किए वादों का निभाना बाक़ी है और अभी उनको मनाना बाक़ी है, मुझे अपना भी समझना बाक़ी है …

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बात करते है ख़ुशी की भी तो रंज़ के साथ

baat karte hai khushi bhi ki to ranz ke saath

बात करते है ख़ुशी की भी तो रंज़ के साथ वो हँसाते भी है ऐसा कि रुला देते …

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कभी कहा न किसी से तेरे फ़साने को

कभी कहा न किसी

कभी कहा न किसी से तेरे फ़साने को न जाने कैसे ख़बर हो गई ज़माने को, दुआ बहार …

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तुझे पुकारा है बे

तुझे पुकारा है बे इरादा

फिर हरीफ़ ए बहार

फिर हरीफ़ ए बहार हो बैठे

हर सम्त परेशाँ तिरी

हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने

सोच बदल जाती है

सोच बदल जाती है,हालात बदल जाते हैं

उजड़े हुए हड़प्पा के

उजड़े हुए हड़प्पा के आसार की तरह

निगाह ए यार के

निगाह ए यार के बदलने में कुछ देर नहीं लगती

कोई सुनता ही नहीं

कोई सुनता ही नहीं किस को सुनाने लग जाएँ

जानता हूँ कि तुझे

जानता हूँ कि तुझे साथ तो रखते है कई

मेरे उसके दरमियाँ ये

मेरे उसके दरमियाँ ये राब्ता है और बस

चल निकलती हैं ग़म

चल निकलती हैं ग़म ए यार से बातें क्या क्या

ऐसा है कि सब ख़्वाब

ऐसा है कि सब ख़्वाब मुसलसल नहीं होते

अब तक यही सुना

अब तक यही सुना था कि बाज़ार बिक गए

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तुझे पुकारा है बे

तुझे पुकारा है बे इरादा

फिर हरीफ़ ए बहार

फिर हरीफ़ ए बहार हो बैठे

हर सम्त परेशाँ तिरी

हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने