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General Poetry

जाने कब किस के छलकने से हो दुनिया ग़र्क़ ए आब

जाने कब किस के

जाने कब किस के छलकने से हो दुनिया ग़र्क़ ए आब मेरी मुट्ठी में है दरिया साग़र ओ …

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ठीक है कि ये जहाँ मुद्दत से उर्यानी पे था

ठीक है कि ये

ठीक है कि ये जहाँ मुद्दत से उर्यानी पे था पर किसे यूँ नाज़ कल तक चाक दामानी …

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दिल मेरा रक़्साँ है जब से अक़्ल इस शोरिश में है

दिल मेरा रक़्साँ है

दिल मेरा रक़्साँ है जब से अक़्ल इस शोरिश में है लर्ज़िश ए पा आसमाँ या ये जहाँ …

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जाने क्यूँ बर्बाद होना चाहता है

जाने क्यूँ बर्बाद होना

जाने क्यूँ बर्बाद होना चाहता है सूरत ए फ़रहाद होना चाहता है, ज़ेहन से आख़िर में अब थक …

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मैं न कहता था कि शहरों में न जा यार मेरे

मैं न कहता था

मैं न कहता था कि शहरों में न जा यार मेरे सोंधी मिट्टी ही में होती है वफ़ा …

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मेरे लबों पे उसी आदमी की प्यास न हो

मेरे लबों पे उसी

मेरे लबों पे उसी आदमी की प्यास न हो जो चाहता है मेरे सामने गिलास न हो, ये …

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जब मेरे होंठों पे मेरी तिश्नगी रह जाएगी

जब मेरे होंठों पे

जब मेरे होंठों पे मेरी तिश्नगी रह जाएगी तेरी आँखों में भी थोड़ी सी नमी रह जाएगी, सरफिरा …

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ग़म इसका कुछ नहीं है कि मैं काम आ गया

ग़म इसका कुछ नहीं

ग़म इसका कुछ नहीं है कि मैं काम आ गया ग़म ये है कि क़ातिलों में तेरा नाम …

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हमारी वजह ए ज़वाल क्या है ? सवाल ये है

हमारी वजह ए ज़वाल

हमारी वजह ए ज़वाल क्या है ? सवाल ये है हराम क्या है, हलाल क्या है ? सवाल …

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कितनी मोहब्बतों से पहला सबक़ पढ़ाया

कितनी मोहब्बतों से पहला

कितनी मोहब्बतों से पहला सबक़ पढ़ाया मैं कुछ न जानता था सब कुछ मुझे सिखाया, अनपढ़ था और …

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कोई सुनता ही नहीं

कोई सुनता ही नहीं किस को सुनाने लग जाएँ

जानता हूँ कि तुझे

जानता हूँ कि तुझे साथ तो रखते है कई

मेरे उसके दरमियाँ ये

मेरे उसके दरमियाँ ये राब्ता है और बस

चल निकलती हैं ग़म

चल निकलती हैं ग़म ए यार से बातें क्या क्या

ऐसा है कि सब ख़्वाब

ऐसा है कि सब ख़्वाब मुसलसल नहीं होते

अब तक यही सुना

अब तक यही सुना था कि बाज़ार बिक गए

जैसा नज़र का शौक़

जैसा नज़र का शौक़ था वैसा न कर सका

ये ज़माने की वफ़ाएं

ये ज़माने की वफ़ाएं मेरे काम की नहीं

असर उस को ज़रा

असर उस को ज़रा नहीं होता

वो जो हम में

वो जो हम में तुम में क़रार था…

रह वफ़ा में

रह वफ़ा में कोई साहिब ए जुनूँ न मिला

हाल में अपने मगन

हाल में अपने मगन हो फ़िक्र ए आइंदा न हो

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कोई सुनता ही नहीं

कोई सुनता ही नहीं किस को सुनाने लग जाएँ

जानता हूँ कि तुझे

जानता हूँ कि तुझे साथ तो रखते है कई

मेरे उसके दरमियाँ ये

मेरे उसके दरमियाँ ये राब्ता है और बस