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General Poetry

हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी

har taraf har jagah beshum

हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी फिर भी तन्हाइयों का शिकार आदमी, सुब्ह से शाम तक बोझ ढोता …

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जो हो एक बार वो हर बार हो ऐसा नहीं होता

jo ho ek bar wo ho har baar aisa nahi hota

जो हो एक बार वो हर बार हो ऐसा नहीं होता हमेशा एक ही से प्यार हो ऐसा …

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तुम अपने अक़ीदों के नेज़े…

tum apne akido ke neze

तुम अपने अक़ीदों के नेज़े हर दिल में उतारे जाते हो, हम लोग मोहब्बत वाले हैं तुम ख़ंजर …

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तू ख़ुश है गर मुझ से जुदा होने पर

tu khush hai gar mujh se juda hone par

तू ख़ुश है गर मुझ से जुदा होने पर कोई गिला नहीं फिर तेरे बे वफ़ा होने पर, …

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बेचैन बहुत फिरना घबराए हुए रहना

bechain bahut rahna ghabraye hue

बेचैन बहुत फिरना घबराए हुए रहना एक आग सी जज़्बों की दहकाए हुए रहना, छलकाए हुए चलना ख़ुशबू …

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पर्बत तेरे पहलू में अगर खाई नहीं है

parbat tere pahlu men agar

पर्बत तेरे पहलू में अगर खाई नहीं है काहे की बुलंदी जहाँ गहराई नहीं है, अब कोई वहाँ …

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सीधे साधे लोग थे पहले घर भी सादा होता था

sidhe saadhe log the pahle

सीधे साधे लोग थे पहले घर भी सादा होता था कमरे कम होते थे और दालान कुशादा होता …

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मशवरे पर न कहीं धूप के चलने लग जाएँ

mashware par na kahi dhoop ke

मशवरे पर न कहीं धूप के चलने लग जाएँ आदमी मोम बनें और पिघलने लग जाएँ, जैसे माहौल …

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हर दिन है मुहब्बत का, हर रात मुहब्बत की

har din hai muhabbat ka har raat muhabbat ke

हर दिन है मुहब्बत का, हर रात मुहब्बत की हम अहल ए मुहब्बत में, हर बात मुहब्बत की, …

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मुझे इल्म है तुम रास्ते से पलट जाओगे

mujhe ilm hai tum raste se

मुझे इल्म है तुम रास्ते से पलट जाओगे फिर तुम्हारे साथ सफ़र की इब्तिदा क्या करना ? वैसे …

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कोई सुनता ही नहीं

कोई सुनता ही नहीं किस को सुनाने लग जाएँ

जानता हूँ कि तुझे

जानता हूँ कि तुझे साथ तो रखते है कई

मेरे उसके दरमियाँ ये

मेरे उसके दरमियाँ ये राब्ता है और बस

चल निकलती हैं ग़म

चल निकलती हैं ग़म ए यार से बातें क्या क्या

ऐसा है कि सब ख़्वाब

ऐसा है कि सब ख़्वाब मुसलसल नहीं होते

अब तक यही सुना

अब तक यही सुना था कि बाज़ार बिक गए

जैसा नज़र का शौक़

जैसा नज़र का शौक़ था वैसा न कर सका

ये ज़माने की वफ़ाएं

ये ज़माने की वफ़ाएं मेरे काम की नहीं

असर उस को ज़रा

असर उस को ज़रा नहीं होता

वो जो हम में

वो जो हम में तुम में क़रार था…

रह वफ़ा में

रह वफ़ा में कोई साहिब ए जुनूँ न मिला

हाल में अपने मगन

हाल में अपने मगन हो फ़िक्र ए आइंदा न हो

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कोई सुनता ही नहीं

कोई सुनता ही नहीं किस को सुनाने लग जाएँ

जानता हूँ कि तुझे

जानता हूँ कि तुझे साथ तो रखते है कई

मेरे उसके दरमियाँ ये

मेरे उसके दरमियाँ ये राब्ता है और बस