दुनिया ए तसव्वुर हम आबाद नहीं करते
दुनिया ए तसव्वुर हम आबाद नहीं करते याद आते हो तुम ख़ुद ही हम याद नहीं करते, वो
General Poetry
दुनिया ए तसव्वुर हम आबाद नहीं करते याद आते हो तुम ख़ुद ही हम याद नहीं करते, वो
ऐसा बनना सँवरना मुबारक तुम्हें कम से कम इतना कहना हमारा करो चाँद शरमाएगा चाँदनी रात में यूँ
ये बहार का ज़माना ये हसीं गुलों के साए मुझे डर है बाग़ बाँ को कहीं नींद आ
राह पर उन को लगा लाए तो हैं बातों में और खुल जाएँगे दो चार मुलाक़ातों में, ये
ग़म से कहीं नजात मिले चैन पाएँ हम दिल ख़ून में नहाए तो गंगा नहाएँ हम, जन्नत में
तुम आईना ही न हर बार देखते जाओ मेरी तरफ़ भी तो सरकार देखते जाओ, न जाओ हाल
तुम्हारे ख़त में नया एक सलाम किस का था न था रक़ीब तो आख़िर वो नाम किस का
एक वो दौर कि मिन्नतें करता था वफ़ा निभाने की एक ये वक़्त कि उसे आरज़ू है दामन
इरादा है किसी जंगल में जा रहूँगा मैं तुम्हारा नाम हर एक पेड़ पर लिखूँगा मैं, हर एक
शगुन ले कर न क्यूँ घर से चला मैं तुम्हारे शहर में तन्हा फिरा मैं, अकेला था किसे