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Love Poetry

ये मोहब्बत जो मोहब्बत से कमाई हुई है

ये मोहब्बत जो मोहब्बत

ये मोहब्बत जो मोहब्बत से कमाई हुई है आग सीने में उसी ने तो लगाई हुई है, एक …

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कभी इस से कभी उस से मिला देता है

कभी इस से कभी

कभी इस से कभी उस से मिला देता है मे’यार अपना क्यूँ नज़रों से गिरा देता है ? …

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मरज़ ए इश्क़ जिसे हो उसे क्या याद रहे

मरज़ ए इश्क़ जिसे

मरज़ ए इश्क़ जिसे हो उसे क्या याद रहे न दवा याद रहे और न दुआ याद रहे, …

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कभी नज़रे मिला के कभी झुका के लूटा

कभी नज़रे मिला के

कभी नज़रे मिला के कभी झुका के लूटा कभी हँस के तो कभी मुस्कुरा के लूटा, मौज ए …

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तेरा हाथ हाथ में हो अगर

तेरा हाथ हाथ में

तेरा हाथ, हाथ में हो अगर तो सफर ही असल ए हयात है, मेरे हर कदम पे हैं …

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जाने क्यूँ बर्बाद होना चाहता है

जाने क्यूँ बर्बाद होना

जाने क्यूँ बर्बाद होना चाहता है सूरत ए फ़रहाद होना चाहता है, ज़ेहन से आख़िर में अब थक …

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मेरे लबों पे उसी आदमी की प्यास न हो

मेरे लबों पे उसी

मेरे लबों पे उसी आदमी की प्यास न हो जो चाहता है मेरे सामने गिलास न हो, ये …

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जब मेरे होंठों पे मेरी तिश्नगी रह जाएगी

जब मेरे होंठों पे

जब मेरे होंठों पे मेरी तिश्नगी रह जाएगी तेरी आँखों में भी थोड़ी सी नमी रह जाएगी, सरफिरा …

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ग़म इसका कुछ नहीं है कि मैं काम आ गया

ग़म इसका कुछ नहीं

ग़म इसका कुछ नहीं है कि मैं काम आ गया ग़म ये है कि क़ातिलों में तेरा नाम …

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दिल के लूट जाने का इज़हार ज़रूरी तो नहीं

दिल के लूट जाने

दिल के लूट जाने का इज़हार ज़रूरी तो नहीं ये तमाशा सर ए बाज़ार ज़रूरी तो नहीं, मुझे …

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तुझे पुकारा है बे

तुझे पुकारा है बे इरादा

फिर हरीफ़ ए बहार

फिर हरीफ़ ए बहार हो बैठे

हर सम्त परेशाँ तिरी

हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने

सोच बदल जाती है

सोच बदल जाती है,हालात बदल जाते हैं

उजड़े हुए हड़प्पा के

उजड़े हुए हड़प्पा के आसार की तरह

निगाह ए यार के

निगाह ए यार के बदलने में कुछ देर नहीं लगती

कोई सुनता ही नहीं

कोई सुनता ही नहीं किस को सुनाने लग जाएँ

जानता हूँ कि तुझे

जानता हूँ कि तुझे साथ तो रखते है कई

मेरे उसके दरमियाँ ये

मेरे उसके दरमियाँ ये राब्ता है और बस

चल निकलती हैं ग़म

चल निकलती हैं ग़म ए यार से बातें क्या क्या

ऐसा है कि सब ख़्वाब

ऐसा है कि सब ख़्वाब मुसलसल नहीं होते

अब तक यही सुना

अब तक यही सुना था कि बाज़ार बिक गए

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तुझे पुकारा है बे

तुझे पुकारा है बे इरादा

फिर हरीफ़ ए बहार

फिर हरीफ़ ए बहार हो बैठे

हर सम्त परेशाँ तिरी

हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने