तुझे पुकारा है बे इरादा
तुझे पुकारा है बे इरादा जो दिल दुखा है बहुत ज़ियादा, नदीम हो तेरा हर्फ़ ए शीरीं तो …
तुझे पुकारा है बे इरादा जो दिल दुखा है बहुत ज़ियादा, नदीम हो तेरा हर्फ़ ए शीरीं तो …
फिर हरीफ़ ए बहार हो बैठे जाने किस किस को आज रो बैठे, थी मगर इतनी राएगाँ भी …
निगाह ए यार के बदलने में कुछ देर नहीं लगती हसीं ख़्वाबों के जलने में कुछ देर नहीं …
कोई सुनता ही नहीं किस को सुनाने लग जाएँ दर्द अगर उठे तो क्या शोर मचाने लग जाएँ, …
जानता हूँ कि तुझे साथ तो रखते है कई पूछना था कि तेरा ध्यान भी रखता है कोई …
मेरे उसके दरमियाँ ये राब्ता है और बस उम्र भर एक दूसरे को सोचना है और बस, ज़िन्दगी …
अब तक यही सुना था कि बाज़ार बिक गए उनकी गली गए तो ख़रीदार बिक गए, लगने लगी …
ये ज़माने की वफ़ाएं मेरे काम की नहीं मुझे उसकी वफ़ा चाहिए किसी आम की नहीं, उसकी तो …
असर उस को ज़रा नहीं होता रंज राहत फ़ज़ा नहीं होता, बेवफ़ा कहने की शिकायत है तो भी …
, गुलों के रुख़ पे वही ताज़गी का आलम है न जाने उन को ग़म ए रोज़गार क्यूँ …