यही जगह थी यही दिन था और यही लम्हात
यही जगह थी यही दिन था और यही लम्हात सरों पे छाई थी सदियों से एक जो काली
Javed Akhtar
यही जगह थी यही दिन था और यही लम्हात सरों पे छाई थी सदियों से एक जो काली
जिधर जाते हैं सब जाना उधर अच्छा नहीं लगता मुझे पामाल रस्तों का सफ़र अच्छा नहीं लगता, ग़लत
जीना मुश्किल है कि आसान ज़रा देख तो लो लोग लगते हैं परेशान ज़रा देख तो लो, फिर
जाते जाते वो मुझे अच्छी निशानी दे गया उम्र भर दोहराऊँगा ऐसी कहानी दे गया, उससे मैं कुछ