घर की क़िस्मत जगी घर में आए सजन

ghar ki qismat jagi ghar me aaye sajan

घर की क़िस्मत जगी घर में आए सजन ऐसे महके बदन जैसे चंदन का बन आज धरती पे

सुनो मादर-ए-हिन्द के नौ-निहालो

suno madar e hind ke nau nihaalo

सुनो मादर-ए-हिन्द के नौ-निहालो सदाक़त पे गर्दन कटा लेने वालो उठो ख़्वाब-ए-ग़फ़लत मिटा लो मिटा लो कमर-बस्ता हो

गो ख़ाक हो चुका है हिन्दोस्ताँ हमारा

go khaaq ho chuka hai hindostaan humara

गो ख़ाक हो चुका है हिन्दोस्ताँ हमारा फिर भी है कुल जहाँ में पल्ला गराँ हमारा मुँह तक

स्वराज का झंडा भारत में गड़वा दिया गाँधी बाबा ने

swaraj ka jhanda bharat me gadwa diya gaandhi baba ne

स्वराज का झंडा भारत में गड़वा दिया गाँधी बाबा ने दिल क़ौम-ओ-वतन के दुश्मन का दहला दिया गाँधी

इक प्रेम पुजारी आया है चरनों में ध्यान लगाने को

ek prem pujaari aaya hai charano me dhyaan lagaane ko

इक प्रेम पुजारी आया है चरनों में ध्यान लगाने को भगवान तुम्हारी मूरत पर श्रधा के फूल चढ़ाने

राम के हिज्र में इक रोज़ भरत ने ये कहा

ram ke hizr me ek roz bharat ne ye kaha

राम के हिज्र में इक रोज़ भरत ने ये कहा क़ल्ब-ए-मुज़्तर को शब-ओ-रोज़ नहीं चैन ज़रा दिल में

घुट गया अँधेरे का आज दम अकेले में

ghut gaya andhere ka aaj dam akele me

घुट गया अँधेरे का आज दम अकेले में हर नज़र टहलती है रौशनी के मेले में आज ढूँढने

एक दो ही नहीं छब्बीस दिए

ek do hi nahi chhabbis diye

एक दो ही नहीं छब्बीस दिए एक इक कर के जलाए मैं ने एक दिया नाम का आज़ादी

मेरी साँसों को गीत और आत्मा को साज़ देती है

meri saanson ko geet aur aatma ko saaz deti hai

मेरी साँसों को गीत और आत्मा को साज़ देती है ये दीवाली है सब को जीने का अंदाज़

हर एक मकाँ में जला फिर दिया दिवाली का

har ek makaan me jala fir diya deewali ka

हर एक मकाँ में जला फिर दिया दिवाली का हर एक तरफ़ को उजाला हुआ दिवाली का, सभी