युसुफ़ न थे मगर सर ए बाज़ार आ गए

yusuf-na-the-magar

युसुफ़ न थे मगर सर ए बाज़ार आ गए ख़ुश फहमियाँ ये थी कि ख़रीदार आ गए, आवाज़

तुझ से बिछड़ के हम भी मुक़द्दर के हो गए

तुझ से बिछड़ के

तुझ से बिछड़ के हम भी मुक़द्दर के हो गए फिर जो भी दर मिला है उसी दर

तुझे है मश्क़ ए सितम का मलाल वैसे ही

तुझे है मश्क़ ए

तुझे है मश्क़ ए सितम का मलाल वैसे ही तुझे है मश्क़ ए सितम का मलाल वैसे ही

तुम अपने अक़ीदों के नेज़े…

tum apne akido ke neze

तुम अपने अक़ीदों के नेज़े हर दिल में उतारे जाते हो, हम लोग मोहब्बत वाले हैं तुम ख़ंजर

सभी कहें मेरे ग़मख़्वार के अलावा भी

sabhi kahe mere gamkhwar ke alawa bhi

सभी कहें मेरे ग़मख़्वार के अलावा भी कोई तो बात करूँ यार के अलावा भी, बहुत से ऐसे

ग़ैरत ए इश्क़ सलामत थी अना ज़िंदा थी

gairat e ishq salamat thi ana zinda thi

ग़ैरत ए इश्क़ सलामत थी अना ज़िंदा थी वो भी दिन थे कि रह ओ रस्म ए वफ़ा

दिल भी बुझा हो शाम की परछाइयाँ भी हों

dil bhi bujha ho sham ki

दिल भी बुझा हो शाम की परछाइयाँ भी हों मर जाइये जो ऐसे में तन्हाइयाँ भी हों, आँखों

हर एक बात न क्यूँ ज़हर सी हमारी लगे

har ek baat na kyun zahar si

हर एक बात न क्यूँ ज़हर सी हमारी लगे कि हमको दस्त ए ज़माना से ज़ख़्मकारी लगे, उदासियाँ

मुस्तक़िल महरूमियों पर भी तो दिल…

mustakil mahrumiyon par bhi dil maana nahi

मुस्तक़िल महरूमियों पर भी तो दिल माना नहीं लाख समझाया कि इस महफ़िल में अब जाना नहीं, ख़ुद

क्या ऐसे कम सुख़न से कोई गुफ़्तुगू करे

kya aise kam sukhan se koi guftagoo kare

क्या ऐसे कम सुख़न से कोई गुफ़्तुगू करे जो मुस्तक़िल सुकूत से दिल को लहू करे, अब तो