बे नियाज़ी के सिलसिले में हूँ
मैं कहाँ अब तेरे नशे में हूँ,
हिज्र तेरा मुझे सताता है
और बाक़ी तो बस मज़े में हूँ,
ढूँढ मत इन उदास आँखों में
ग़ौर कर तेरे क़हक़हे में हूँ,
वो मुझे अब भी चाहता होगा
मैं अभी तक मुग़ालते में हूँ,
हर तरफ़ महफ़िलें ख़यालों की
इश्क़ के शाही महकमे में हूँ,
तोड़ कर ही निकाल ले कोई
क़ैद मैं अपने दाएरे में हूँ,
उस को मंज़िल भी मिल गई अपनी
और मैं हूँ कि रास्ते में हूँ…!!