बस एक ही हल इसका हमारे पास है लोगो
जो हुक्मराँ बिक जाए वो बकवास है लोगो,
किस भूख से गुज़रे है, हमें प्यास बला की
पुछा है कभी, उनको ये एहसास है लोगो ?
जिसको समझ बैठे थे कश्कोल शिकन है
अफ़सोस वही ज़ात का ही दास है लोगो,
क़ानून यहाँ पाओगे एक और तरह का
है इसके लिए आम, कोई ख़ास है लोगो,
तालीम का मौक़ा है उन्हें जिनको नहीं शौक़
मज़दूरी करें वो कि जिन्हें प्यास है लोगो,
माथे पे कोई बल न कोई लब पे गिला है
हर ज़ोर ओ ज़फ़ा अब तो हमें रास है लोगो,
हर हाल में अंज़ाम से है सबको गुज़रना
है दूर कोई इससे, तो कोई पास है लोगो,
रातों को चिता जलती है बेटियों की वतन में
इंसाफ़ की क्या अब भी तुम्हे आस है लोगो ?