बहुत दिल को कुशादा कर लिया क्या
ज़माने भर से वा’दा कर लिया क्या ?
तो क्या सचमुच जुदाई मुझ से कर ली
तो ख़ुद अपने को आधा कर लिया क्या ?
हुनरमंदी से अपनी दिल का सफ़्हा
मेरी जाँ तुम ने सादा कर लिया क्या ?
जो यकसर जान है उस के बदन से
कहो कुछ इस्तिफ़ादा कर लिया क्या ?
बहुत कतरा रहे हो मुग़्बचों से
गुनाह ए तर्क ए बादा कर लिया क्या ?
यहाँ के लोग कब के जा चुके हैं
सफ़र जादा ब जादा कर लिया क्या ?
उठाया एक क़दम तू ने न उस तक
बहुत अपने को माँदा कर लिया क्या ?
तुम अपनी कज कुलाही हार बैठीं
बदन को बे लिबादा कर लिया क्या ?
बहुत नज़दीक आती जा रही हो
बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या ?
~जौन एलिया
 




 
                                     
                                     
                                     
                                     
                                     
                                     
                                     
                                     
                                    












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