अब दरमियाँ कोई भी शिकायत नहीं बची
या’नी क़रीब आने की सूरत नहीं बची,
अब और कोई सदमा नहीं झेल सकता मैं
अब और मेरी आँखों में हैरत नहीं बची,
ख़ामोशियों ने अपना असर कर दिया शुरू
अब रिश्ते को सदा की ज़रूरत नहीं बची,
हर सिम्त सिर्फ़ बात मोहब्बत की है रवाँ
या’नी जहाँ में आज मोहब्बत नहीं बची,
फ़ुर्सत के वक़्त इश्क़ से महरूम मैं रहा
फिर ऐसा वक़्त आया कि फ़ुर्सत नहीं बची..!!
~अक्स समस्तीपुरी