आज फिर गर्दिश ए तक़दीर पे रोना आया

आज फिर गर्दिश ए तक़दीर पे रोना आया
दिल की बिगड़ी हुई तस्वीर पे रोना आया,

इश्क़ की क़ैद में अब तक तो उमीदों पे जिए
मिट गई आस तो ज़ंजीर पे रोना आया,

क्या हसीं ख़्वाब मोहब्बत ने दिखाया था हमें
खुल गई आँख तो ताबीर पे रोना आया,

पहले क़ासिद की नज़र देख के दिल सहम गया
फिर तेरी सुर्ख़ी ए तहरीर पे रोना आया,

दिल गँवा कर भी मोहब्बत के मज़े मिल न सके
अपनी खोई हुई तक़दीर पे रोना आया,

कितने मसरूर थे जीने की दुआओं पे शकील
जब मिले रंज तो तासीर पे रोना आया..!!

~शकील बदायूनी

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