ज़ख्म ए वाहिद ने जिसे ता उम्र रुलाया हो

ज़ख्म ए वाहिद ने जिसे ता उम्र रुलाया हो
हरगिज़ ना दुखाना दिल जो चोट खाया हो,

जिसे हासिल ही नहीं उसे अहमियत क्या ?
उनसे पूछो जिन्होंने पा कर भी गँवाया हो,

ख़ुशनसीब नहीं यहाँ हर मुस्कुराने वाला
किसे पता हँसी के पीछे क्या दर्द छुपाया हो,

खौफ़ से तो हर कोई झुका दे ज़माने को
बात तब है किसी ने इज्ज़त से सर झुकाया हो,

ऐसा भी नहीं कि कोई निभा नहीं रहा रिश्तें
तारीफ़ तो तब है जब एक तरफ़ा निभाया हो,

तजुर्बा ज़िन्दगी का तुम्हे वही शख्स बताएगा
जिसने अपना ही जनाज़ा काँधे पे उठाया हो..!!

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