इंसान में हैवान यहाँ भी है वहाँ भी
अल्लाह निगहबान यहाँ भी है वहाँ भी,
ख़ूँ ख़्वार दरिंदों के फ़क़त नाम अलग हैं
हर शहर बयाबान यहाँ भी है वहाँ भी,
हिन्दू भी सुकूँ से है मुसलमाँ भी सुकूँ से
इंसान परेशान यहाँ भी है वहाँ भी,
रहमान की रहमत हो कि भगवान की मूरत
हर खेल का मैदान यहाँ भी है वहाँ भी,
उठता है दिल ओ जाँ से धुआँ दोनों तरफ़ ही
ये मीर का दीवान यहाँ भी है वहाँ भी..!!
~निदा फ़ाज़ली
न जाने कौन सा मंज़र नज़र में रहता है
➤ आप इन्हें भी पढ़ सकते हैं






























1 thought on “इंसान में हैवान यहाँ भी है वहाँ भी”