वो जो था वो कभी मिला ही नहीं
सो गरेबाँ कभी सिला ही नहीं,
उस से हर दम मोआ’मला है मगर
दरमियाँ कोई सिलसिला ही नहीं,
बे मिले ही बिछड़ गए हम तो
सौ गिले हैं कोई गिला ही नहीं,
चश्म ए मयगूँ से है मुग़ाँ ने कहा
मस्त कर दे मगर पिला ही नहीं,
तू जो है जान तू जो है जानाँ
तू हमें आज तक मिला ही नहीं,
मस्त हूँ मैं महक से उस गुल की
जो किसी बाग़ में खिला ही नहीं,
हाए जौन उस का वो पियाला ए नाफ़
जाम ऐसा कोई मिला ही नहीं,
तू है एक उम्र से फ़ुग़ाँ पेशा
अभी सीना तेरा छिला ही नहीं..!!
~जौन एलिया
 




 
                                     
                                     
                                     
                                     
                                     
                                     
                                     
                                     
                                     
                                    












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