दिल ए पुर शौक़ को पहलू में दबाए रखा
तुझ से भी हम ने तेरा प्यार छुपाए रखा,
छोड़ इस बात को ऐ दोस्त कि तुझ से पहले
हम ने किस किस को ख़यालों में बसाए रखा,
ग़ैर मुमकिन थी ज़माने के ग़मों से फ़ुर्सत
फिर भी हम ने तेरा ग़म दिल में बसाए रखा,
फूल को फूल न कहते सो उसे क्या कहते
क्या हुआ ग़ैर ने कॉलर पे सजाए रखा,
जाने किस हाल में हैं कौन से शहरों में हैं वो ?
ज़िंदगी अपनी जिन्हें हम ने बनाए रखा,
हाए क्या लोग थे वो लोग परी चेहरा लोग
हम ने जिन के लिए दुनिया को भुलाए रखा,
अब मिलें भी तो न पहचान सकें हम उन को
जिन को एक उम्र ख़यालों में बसाए रखा..!!
~हबीब जालिब

























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