ये ज़माने की वफ़ाएं मेरे काम की नहीं

ये ज़माने की वफ़ाएं मेरे काम की नहीं
मुझे उसकी वफ़ा चाहिए किसी आम की नहीं,

उसकी तो एक मुस्कराहट भी अनमोल थी
ये तमाम मुस्कुराहटें किसी दाम की नहीं,

मुझे गम है तो उस के छीन जाने का है
परवाह मुझ पर लगे हुए इलज़ाम का नहीं,

मेरा हाथ देख कर नजूमी ये बोला….

बहुत सी चाहतें तेरे लिए हैं बाक़ी लेकिन
तेरे हाथ में कोई भी लकीर उस के नाम का नहीं..!!

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