बेलौस मुफ़्लिसी भी है क़ुबूल मुझे
मगर अमीर ए शहर बदकार नहीं,
दुश्मन ए बदतर से भी निभा लूँगा
मगर दोस्त कोई भी अदाकार नहीं,
दुश्मनी में रहे क़ायम मेयार नवाब
मुझे कत्तई पसंद ख़ूँ ए ऐतबार नहीं,
खुले दिल की नफरते भी पसंद है मुझे
पर किसी का दिखावे का प्यार नहीं..!!
बहुत उम्दा शायरी का खज़ाना है बज़्म ए शायरी…..👌🏻
शुक्रिया आपका 🌷