जो मैं भी रूठा तो सुबह तक तू सजी सजाई पड़ी रहेगी

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ये लाल डिबिया में जो पड़ी है वो मुँह दिखाई पड़ी रहेगीजो मैं भी रूठा तो सुबह तक