इतना एहसान तो हम पर वो ख़ुदारा करते

itna ehsan to ham par

इतना एहसान तो हम पर वो ख़ुदारा करते अपने हाथो से ज़िगर चाक हमारा करते, हमको तो दर्द

इश्क़ जब एक मगरूर से हुआ तो फिर…

इश्क़ जब एक मगरूर

इश्क़ जब एक मगरूर से हुआ तो फिर छोड़ कर अना ख़ुद को झुकाना पड़ा मुझे, उसने खेला

नींद ना आये फूलो पे, काँटो पे सोना पड़ता है…

नींद ना आये फूलो

यहाँ पल पल चलना पड़ता हैहर रंग में ढलना पड़ता है, हर मोड़ पे ठोकर लगती हैहर हाल

कब तक यूँ बहारों में, पतझड़ का चलन होगा…

कब तक यूँ बहारों

कब तक यूँ बहारों में, पतझड़ का चलन होगाकलियों की चिता होगी, फूलों का हवन होगा, हर धर्म