इतना एहसान तो हम पर वो ख़ुदारा करते
इतना एहसान तो हम पर वो ख़ुदारा करते अपने हाथो से ज़िगर चाक हमारा करते, हमको तो दर्द
इतना एहसान तो हम पर वो ख़ुदारा करते अपने हाथो से ज़िगर चाक हमारा करते, हमको तो दर्द
इश्क़ जब एक मगरूर से हुआ तो फिर छोड़ कर अना ख़ुद को झुकाना पड़ा मुझे, उसने खेला
यहाँ पल पल चलना पड़ता हैहर रंग में ढलना पड़ता है, हर मोड़ पे ठोकर लगती हैहर हाल
कब तक यूँ बहारों में, पतझड़ का चलन होगाकलियों की चिता होगी, फूलों का हवन होगा, हर धर्म