अर्ज़ ए गम कभी उसके रूबरू भी हो जाए…

Bazmeshayari_512X512

अर्ज़ ए गम कभी उसके रूबरू भी हो जाए शायरी तो होती है, कभी गुफ़्तगू भी हो जाए,