किसी झूठीं वफ़ा से दिल को बहलाना नहीं आता

kisi jhuthin wafa se dil ko

किसी झूठीं वफ़ा से दिल को बहलाना नहीं आता मुझे घर काग़ज़ी फूलों से महकाना नहीं आता, मैं

ग़म के हर एक रंग से मुझको शनासा कर

gam ke har ek rang se mujhko

ग़म के हर एक रंग से मुझको शनासा कर गया वो मेरा मोहसिन मुझे पत्थर से हीरा कर

ग़म है वहीं प ग़म का सहारा गुज़र गया

gam hai wahi pa gam ka sahara guzar

ग़म है वहीं प ग़म का सहारा गुज़र गया दरिया ठहर गया है किनारा गुज़र गया, बस ये

फ़ासले ऐसे भी होंगे ये कभी सोचा न था

faasle aise bhi honge ye kabhi sochaa na tha

फ़ासले ऐसे भी होंगे ये कभी सोचा न था सामने बैठा था मेरे और वो मेरा न था,

राहत ए जाँ से तो ये दिल का वबाल…

rahat-e-jaan-se-to

राहत ए जाँ से तो ये दिल का वबाल अच्छा है उस ने पूछा तो है इतना तेरा