ज़ुल्म के तल्ख़ अंधेरो के तलबगार हो तुम
ज़ुल्म के तल्ख़ अंधेरो के तलबगार हो तुम ये इल्म है कि नफ़रत के मददगार …
ज़ुल्म के तल्ख़ अंधेरो के तलबगार हो तुम ये इल्म है कि नफ़रत के मददगार …
समंदरों में हमारा निशान फैला है पलट के देख मुए आसमान फैला है, मुक़ाबला है …