थे ख़्वाब एक हमारे भी और तुम्हारे भी
थे ख़्वाब एक हमारे भी और तुम्हारे भी पर अपना खेल दिखाते रहे सितारे भी, ये ज़िन्दगी है
थे ख़्वाब एक हमारे भी और तुम्हारे भी पर अपना खेल दिखाते रहे सितारे भी, ये ज़िन्दगी है
ख़ुशी जानते हैं न ग़म जानते हैं जो उनकी रज़ा हो वो हम जानते हैं, जो कुछ चार
ये मरहले भी मोहब्बत के बाब में आए बिछड़ गए थे जो हमसे वो ख़्वाब में आए, वो
उसे भुला के भी यादों के सिलसिले न गए दिल ए तबाह तेरे उससे राब्ते न गए, किताब
तेरे पैकर सी कोई मूरत बना ली जाएगी दिल के बहलाने की ये सूरत निकाली जाएगी, कौन कह
ग़म के हर एक रंग से मुझको शनासा कर गया वो मेरा मोहसिन मुझे पत्थर से हीरा कर
ग़म है वहीं प ग़म का सहारा गुज़र गया दरिया ठहर गया है किनारा गुज़र गया, बस ये
दिल के बहलाने का सामान न समझा जाए मुझको अब इतना भी आसान न समझा जाए, मैं भी
मैं एक काँच का पैकर वो शख़्स पत्थर था सो पाश पाश तो होना मेरा मुक़द्दर था, तमाम
ख़ुद आगही का अजब रोग लग गया है मुझे कि अपनी ज़ात पे धोका तेरा हुआ है मुझे,