बार ए गम ए हयात उठाया तो रो पड़े

baar e gam e hayat uthaya to

बार ए गम ए हयात उठाया तो रो पड़े जब ज़ीस्त ने मजाक उड़ाया तो रो पड़े, रहता

बताओ कौन कहता है ? मुहब्बत बस कहानी है

bataao kaun kahta hai muhabbat bas kahani hai

बताओ कौन कहता है ? मुहब्बत बस कहानी है मुहब्बत तो सहीफ़ा है, मुहब्बत आसमानी है, मुहब्बत को

नींद नहीं आती कितनी अकेली हो गई

neend nahi aati kitni akeli ho gai

नींद नहीं आती कितनी अकेली हो गई रफ़ू करते करते ज़िन्दगी पहेली हो गई, ये हसरतें भी ख़्वाब

हर एक घर में दिया भी जले अनाज भी हो

har ek ghar me diya bhi jale

हर एक घर में दिया भी जले अनाज भी हो अगर न हो कहीं ऐसा तो एहतिजाज भी

नई नई आँखें हों तो हर मंज़र अच्छा लगता है

nayi nayi aankhen ho to har manzar

नई नई आँखें हों तो हर मंज़र अच्छा लगता है कुछ दिन शहर में घूमे लेकिन अब घर

आज ज़रा फ़ुर्सत पाई थी…

aaj zara fursat paai thi

आज ज़रा फ़ुर्सत पाई थी आज उसे फिर याद किया बंद गली के आख़िरी घर को खोल के

मुँह की बात सुने हर कोई…

munh ki baat sune har koi

मुँह की बात सुने हर कोई दिल के दर्द को जाने कौन आवाज़ों के बाज़ारों में ख़ामोशी पहचाने

हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी

har taraf har jagah beshum

हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी फिर भी तन्हाइयों का शिकार आदमी, सुब्ह से शाम तक बोझ ढोता

जो हो एक बार वो हर बार हो ऐसा नहीं होता

jo ho ek bar wo ho har baar aisa nahi hota

जो हो एक बार वो हर बार हो ऐसा नहीं होता हमेशा एक ही से प्यार हो ऐसा

तुम अपने अक़ीदों के नेज़े…

tum apne akido ke neze

तुम अपने अक़ीदों के नेज़े हर दिल में उतारे जाते हो, हम लोग मोहब्बत वाले हैं तुम ख़ंजर