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अपने घर की चारदीवारी में अब…

apne-ghar-ki-chaardeewari-me-ab-lihaf-me-sihran-hoti-hai

अपने घर की चारदीवारी में अब लिहाफ़ में भी सिहरन होती है जिस दिन से किसी को गुर्बत …

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ज़िस्म क्या है ? रूह तक सब कुछ….

zism kya hai ruh tak sab kuch khulasa dekhiye

ज़िस्म क्या है ? रूह तक सब कुछ ख़ुलासा देखिए आप भी इस भीड़ में घुस कर तमाशा …

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कुछ ग़म ए जानाँ कुछ ग़म ए दौराँ

कुछ ग़म ए जानाँ

कुछ ग़म ए जानाँ कुछ ग़म ए दौराँ दोनों मेरी ज़ात के नाम एक ग़ज़ल मंसूब है उससे …

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अँधेरा सफ़र है ख़बरदार रहना…

andhera-safar-hai-khabardar-rahna

अँधेरा सफ़र है ख़बरदार रहना लुटेरा शहर है ख़बरदार रहना, गला काटतें है बड़ी सादगी से ये इनका …

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जो डलहौज़ी न कर पाया वो ये…

जो डलहौज़ी न कर

जो डलहौज़ी न कर पाया वो ये हुक्काम कर देंगे कमीशन दो तो हिंदुस्तान को नीलाम कर देंगे, …

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यूँ बे दर्द बन कर ना रहा कीजिए…

yun-bedard-ban-kar-na-raha-kijiye

यूँ बेदर्द बन कर ना रहा कीजिए मेरे मर्ज़ की भी तो कोई दवा कीजिए, आप मुहब्बत लिए …

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घर में ठंडे चूल्हे पर अगर ख़ाली पतीली है

ghar me thande chulhe par agar khaali patili hai

घर में ठंडे चूल्हे पर अगर ख़ाली पतीली है बताओ कैसे लिख दूँ धूप फागुन की नशीली है …

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उनका दावा, मुफ़लिसी का मोर्चा…

unka daava muflisi ka morcha sar ho gaya

उनका दावा, मुफ़लिसी का मोर्चा सर हो गया पर हकीक़त ये है मौसम और बदतर हो गया, बंद …

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सियासी महाभारत में इसके पात्र…

Bazmeshayari_512X512

सियासी महाभारत में इसके पात्र सारे आ गए योगगुरु भागे कहीं तो कहीं अन्ना हजारे आ गए, ठाकरे …

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शाम को जिस वक़्त ख़ाली हाथ घर…

शाम को जिस वक़्त

शाम को जिस वक़्त ख़ाली हाथ घर जाता हूँ मैं मुस्कुरा देते है बच्चे और मर जाता हूँ …

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Yusuf na the magar

युसुफ़ न थे मगर सर ए बाज़ार आ गए

एक सूरज था कि

एक सूरज था कि तारों के घराने से उठा

जुस्तुजू खोए हुओं की

जुस्तुजू खोए हुओं की उम्र भर करते रहे

वो जो दिल में तेरा मुक़ाम है

वो जो दिल में तेरा मुक़ाम है

दिल की दुनिया में

दिल की दुनिया में दुनिया न आये कभी

लिबास तन से उतार

लिबास तन से उतार देना, किसी को बांहों के हार देना

मुक़म्मल दो ही दानों

मुक़म्मल दो ही दानों पर ये तस्बीह ए मुहब्बत है

तुझे पुकारा है बे

तुझे पुकारा है बे इरादा

फिर हरीफ़ ए बहार

फिर हरीफ़ ए बहार हो बैठे

हर सम्त परेशाँ तिरी

हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने

सोच बदल जाती है

सोच बदल जाती है,हालात बदल जाते हैं

उजड़े हुए हड़प्पा के

उजड़े हुए हड़प्पा के आसार की तरह

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नवीनतम प्रकाशित अश'आर / ग़ज़ल

Yusuf na the magar

युसुफ़ न थे मगर सर ए बाज़ार आ गए

एक सूरज था कि

एक सूरज था कि तारों के घराने से उठा

जुस्तुजू खोए हुओं की

जुस्तुजू खोए हुओं की उम्र भर करते रहे