फूलों की है तख़्लीक़ कि शोलों से बना है

phoolon ki hai takhliq

फूलों की है तख़्लीक़ कि शोलों से बना है कुंदन सा तेरा जिस्म जो ख़ुश्बू में बसा है,

पड़ा हुआ मैं किसी आइने के घर में हूँ

pada hua main kisi

पड़ा हुआ मैं किसी आइने के घर में हूँ ये तेरा शहर है या ख़्वाब के नगर में

यूँ बने सँवरे हुए से फूल हैं गुलज़ार में

yun bane sanvre hue

यूँ बने सँवरे हुए से फूल हैं गुलज़ार में सैर को निकली हों जैसे लड़कियाँ बाज़ार में, ये

कर गए अश्क मेंरी आँख को जल थल क्या क्या

kar gaye ashk meri

कर गए अश्क मेंरी आँख को जल थल क्या क्या अब के बरसा है तेरी याद का बादल

वक़्त बे वक़्त ये पोशाक मेंरी ताक में है

waqt be waqt ye

वक़्त बे वक़्त ये पोशाक मेंरी ताक में है जानता हूँ कि मेंरी ख़ाक मेंरी ताक में है,

होंठों को फूल आँख को बादा नहीं कहा

honthon ko phool aankh

होंठों को फूल आँख को बादा नहीं कहा तुझको तेरी अदा से ज़ियादा नहीं कहा, बरता गया हूँ

हाल ए दिल सुन के मेंरा सर ब गरेबाँ क्यूँ हैं

haal e dil sun

हाल ए दिल सुन के मेंरा सर ब गरेबाँ क्यूँ हैं जो किया आप ने अब उस पे

जमी हूँ बर्फ़ की सूरत पिघलना चाहती हूँ मैं

zami hoon barf ki

जमी हूँ बर्फ़ की सूरत पिघलना चाहती हूँ मैं हिसार ए ज़ात से बाहर निकलना चाहती हूँ मैं,

घर से निकले तो हो सोचा भी किधर जाओगे

ghar se nikalte to

घर से निकले तो हो सोचा भी किधर जाओगे हर तरफ़ तेज़ हवाएँ हैं बिखर जाओगे, इतना आसाँ

जो गुल है याँ सो उस गुल-ए-रुख़्सार साथ है

jo gul hai yaan

जो गुल है याँ सो उस गुल-ए-रुख़्सार साथ है क्या गुल है वो कि जिस के ये गुलज़ार