न तो उस्लूब न अंदाज़ गिराँ गुज़रा है

naa to usloob na

न तो उस्लूब न अंदाज़ गिराँ गुज़रा है उस पे मेरा फ़न ए परवाज़ गिराँ गुज़रा है, ये

बेबसी से हाथ अपने मलने वाले हम नहीं

bebasi se haath apne

बेबसी से हाथ अपने मलने वाले हम नहीं मेहरबानी पर किसी की पलने वाले हम नहीं, रहगुज़र अपनी

चिश्ती ने जिस ज़मीं में पैग़ाम ए हक़ सुनाया

chisti ne jis zamin

चिश्ती ने जिस ज़मीं में पैग़ाम ए हक़ सुनाया नानक ने जिस चमन में वहदत का गीत गाया,

वो हर मक़ाम से पहले वो हर मक़ाम के बाद

wo har muqam se

वो हर मक़ाम से पहले वो हर मक़ाम के बाद सहर थी शाम से पहले सहर है शाम

हादसे ज़ीस्त की तौक़ीर बढ़ा देते हैं

haadse zist ki tauqeer

हादसे ज़ीस्त की तौक़ीर बढ़ा देते हैं ऐ ग़म ए यार तुझे हम तो दुआ देते हैं, तेरे

होंठों पे हँसी आँख में तारों की लड़ी है

honthon pe hanseen aankh

होंठों पे हँसी आँख में तारों की लड़ी है वहशत बड़े दिलचस्प दो राहे पे खड़ी है, दिल

ये शीशे, ये सपने, ये रिश्ते ये धागे

ye shishe ye sapne

ये शीशे, ये सपने, ये रिश्ते ये धागे किसे क्या ख़बर है कहाँ टूट जायें ? मुहब्बत के

वो है बहुत हसीन और फिर उर्दू बोला करती है

wo hai bahut haseen

वो है बहुत हसीन और फिर उर्दू बोला करती है मेरे घर के सामने छत पर अक्सर टहला

आसमानों से न उतरेगा सहीफ़ा कोई

aasmaan se na utarega

आसमानों से न उतरेगा सहीफ़ा कोई ऐ ज़मीं ढूँढ ले अब अपना मसीहा कोई, फिर दर ए दिल

दो जहाँ के हुस्न का अरमान आधा रह गया

do jahan ke husn

दो जहाँ के हुस्न का अरमान आधा रह गया इस सदी के शोर में इंसान आधा रह गया,