गुज़िश्ता रात कोई चाँद घर में उतरा था

guzishta raat koi chaand

गुज़िश्ता रात कोई चाँद घर में उतरा था वो एक ख़्वाब था या बस नज़र का धोखा था

छा गया मेरे मुक़द्दर पे अंधेरा ऐ दोस्त

chha gaya mere muqaddar

छा गया मेरे मुक़द्दर पे अंधेरा ऐ दोस्त तू ने शानों पे जो गेसू को बिखेरा ऐ दोस्त,

सदाक़तों को ये ज़िद है ज़बाँ तलाश करूँ

sadaqaton ko ye zidd

सदाक़तों को ये ज़िद है ज़बाँ तलाश करूँ जो शय कहीं न मिले मैं कहाँ तलाश करूँ ?

गुलों को रंग सितारों को रौशनी के लिए

gulon ko rang sitaron

गुलों को रंग सितारों को रौशनी के लिए ख़ुदा ने हुस्न दिया तुम को दिलबरी के लिए, तुम्हारे

कैसे सुनाऊँ ग़म की कहानी साँसों पर है बार बहुत

kaise sunaaoon gam ki

कैसे सुनाऊँ ग़म की कहानी साँसों पर है बार बहुत माज़ी कहता है कह जाओ हाल को है

जिस्म के घरौंदे में आग शोर करती है

jism ke gharaunde me

जिस्म के घरौंदे में आग शोर करती है दिल में जब मोहब्बत की चाँदनी उतरती है, शाम के

यहाँ जो ज़ख़्म मिलते हैं वो सिलते हैं यहीं मेरे

yahan jo zakhm milte

यहाँ जो ज़ख़्म मिलते हैं वो सिलते हैं यहीं मेरे तुम्हारे शहर के सब लोग तो दुश्मन नहीं

अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जाएगा

agar talaash karoon koi

अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जाएगा मगर तुम्हारी तरह कौन मुझ को चाहेगा ? तुम्हें ज़रूर कोई

झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं

jhuki jhuki see nazar

झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं,

कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे

kitne aish se rahte

कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे