किसी के हिज्र में जीना मुहाल हो गया है
किसी के हिज्र में जीना मुहाल हो गया है किसे बताएँ हमारा जो हाल हो गया है ?
किसी के हिज्र में जीना मुहाल हो गया है किसे बताएँ हमारा जो हाल हो गया है ?
फ़ाएदा क्या है हमें और ख़सारा क्या है जो भी है आप का सब कुछ है हमारा क्या
निकल पड़े हैं सनम रात के शिवाले से कुछ आज शहर ए ग़रीबाँ में हैं उजाले से, चलो
बचाओ दामन ए दिल ऐसे हमनशीनों से मिला के हाथ जो डसते हैं आस्तीनों से, निगार ए वक़्त
पी ले जो लहू दिल का वो इश्क़ की मस्ती है क्या मस्त है ये नागन अपने ही
वो मुस्कुरा के जिधर से निकल गए होंगे निगाह ए शौक़ में आँसू मचल गए होंगे, गुज़र के
ज़हर को मय दिल ए सद पारा को मीना न कहो दौर ऐसा है कि पीने को भी
क्या क्या लोग ख़ुशी से अपनी बिकने पर तैयार हुए एक हमीं दीवाने निकले हम ही यहाँ पर
जाने क्या देखा था मैं ने ख़्वाब में फँस गया फिर जिस्म के गिर्दाब में, तेरा क्या तू
हर नई रुत में नया होता है मंज़र मेरा एक पैकर में कहाँ क़ैद है पैकर मेरा, मैं