दिल में अब यूँ तेरे भूले हुए ग़म आते हैं

दिल में अब यूँ तेरे भूले हुए ग़म आते हैं
जैसे बिछड़े हुए काबे में सनम आते हैं,

एक एक कर के हुए जाते हैं तारे रौशन
मेरी मंज़िल की तरफ़ तेरे क़दम आते हैं,

रक़्स ए मय तेज़ करो साज़ की लय तेज़ करो
सू ए मयख़ाना सफ़ीरान ए हरम आते हैं,

कुछ हमीं को नहीं एहसान उठाने का दिमाग़
वो तो जब आते हैं माइल ब करम आते हैं,

और कुछ देर न गुज़रे शब ए फ़ुर्क़त से कहो
दिल भी कम दुखता है वो याद भी कम आते हैं..!!

~फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

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