इंसान में हैवान यहाँ भी है वहाँ भी

insan me haiwan yahan bhi hai wahan bhi

इंसान में हैवान यहाँ भी है वहाँ भी अल्लाह निगहबान यहाँ भी है वहाँ भी, ख़ूँ ख़्वार दरिंदों

न जाने कौन सा मंज़र नज़र में रहता है

naa jaane kaun saa manzar nazar me rahta hai

न जाने कौन सा मंज़र नज़र में रहता है तमाम उम्र मुसाफ़िर सफ़र में रहता है, लड़ाई देखे

कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई ईसाई है

koi hindu koi muslim koi eesaai hai

कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई ईसाई है सब ने इंसान न बनने की क़सम खाई है, इतनी ख़ूँ

हर एक घर में दिया भी जले अनाज भी हो

har ek ghar me diya bhi jale anaj bhi ho

हर एक घर में दिया भी जले अनाज भी हो अगर न हो कहीं ऐसा तो एहतिजाज भी

कोशिश के बावजूद ये इल्ज़ाम रह गया

koshish ke bavjood ye ilzam rah gaya

कोशिश के बावजूद ये इल्ज़ाम रह गया हर काम में हमेशा कोई काम रह गया, छोटी थी उम्र

घर से निकले तो हो सोचा भी किधर जाओगे

ghar se nikale to ho socha bhi kidhar jaaoge

घर से निकले तो हो सोचा भी किधर जाओगे हर तरफ़ तेज़ हवाएँ हैं बिखर जाओगे, इतना आसाँ

ये कैसी कश्मकश है ज़िंदगी में

ye kaisi kashmakash hai zindagi me

ये कैसी कश्मकश है ज़िंदगी में किसी को ढूँडते हैं हम किसी में, जो खो जाता है मिल

हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा

har ghadi khud se uljhna hai muqaddar mera

हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा मैं ही कश्ती हूँ मुझी में है समुंदर मेरा, किस

अश्क ए नादाँ से कहो बाद में पछताएँगे

ashk e naadaan se kaho baad me pachhtayenge

अश्क ए नादाँ से कहो बाद में पछताएँगे आप गिर कर मेरी आँखों से किधर जाएँगे ? अपने

चलो चलके मनाया जाए उसको

chalo chalke manaya jaaye usko

चलो चलके मनाया जाए उसको गले से फिर लगाया जाए उसको, सियासत आदमी को बाँटती है ये सच