गर्दिश ए साग़र सुबू के दरमियाँ
गर्दिश ए साग़र सुबू के दरमियाँ ज़िंदगी है हाओ हू के दरमियाँ, ज़ख़्म और पोशाक भी रखे गए
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गर्दिश ए साग़र सुबू के दरमियाँ ज़िंदगी है हाओ हू के दरमियाँ, ज़ख़्म और पोशाक भी रखे गए
ये क्या रुत है अब की रुत में देखें ज़र्द गुलाब चेहरे सूखे फूल ख़िज़ाँ के आँखें ज़र्द
हिज्र के मौसम ए तन्हाई के दुख देखे एक चेहरे के पीछे कितने दुख देखे, एक सन्नाटा पहरों
रात दरपेश थी मुसाफ़िर को नींद क्यों आ गई मुसाफ़िर को ? क्या नगर है ये दिल दिखाई
ख़याल ओ ख़्वाब में होना सदा ए बाद में रहना किसी की आस में जीना किसी की याद
उजाड़ आँखों में रत जगों का अज़ाब उतरा है नीम शब को जो दर्द जागा है शाम ढलते
कोई साया अच्छे साईं धूप बहुत है मर जाऊँगा अच्छे साईं धूप बहुत है, साँवली रुत में ख़्वाब
जहाँ वहम ओ गुमाँ हो जाएगा क्या यहाँ सब कुछ धुआँ हो जाएगा क्या ? सितारे धूल और
वो दूर ख़्वाबों के साहिलों में अज़ाब किस के हैं ख़्वाब किस के ये कौन जाने कि अब
दिल को तेरे ध्यान में रखा शोर सूने मकान में रखा, हर तरफ़ आइने बिछाए और एक चेहरा