एक शख्स की खातिर ज़बर कर बैठा हूँ…
एक शख्स की खातिर ज़बर कर बैठा हूँ मैं ज़िन्दगी को इधर उधर कर बैठा …
एक शख्स की खातिर ज़बर कर बैठा हूँ मैं ज़िन्दगी को इधर उधर कर बैठा …
ख़ुदा की कौन सी है राह बेहतर जानता है मज़ा है नेकियों में क्या कलंदर …
ऐ निगाह ए दोस्त ये क्या हो गया क्या कर दिया पहले पहले रौशनी दी …
अपनी ज़रूरत के मुताबिक़ लोगो के जज़्बात बदल जाते है, इंसानों की इन्हें फिक़र नहीं …
किस को पार उतारा तुम ने किस को पार उतारोगेमल्लाहो तुम परदेसी को बीच भँवर …
एक नगर के नक़्श भुला दूँ एक नगर ईजाद करूँएक तरफ़ ख़ामोशी कर दूँ एक …
इक तेज़ तीर था कि लगा और निकल गयामारी जो चीख़ रेल ने जंगल दहल …
ग़ैरों से मिल के ही सही बे-बाक तो हुआबारे वो शोख़ पहले से चालाक तो …
चादर की इज्ज़त करता हूँऔर परदे को मानता हूँ, हर परदा परदा नहीं होताइतना मैं …
कोई तो फूल खिलाए दुआ के लहज़े मेंअज़ब तरह की घुटन है हवा के लहज़े …