हम ने सुना था सहन ए चमन में कैफ़ के बादल छाए हैं
हम ने सुना था सहन ए चमन में कैफ़ के बादल छाए हैं हम भी गए थे जी
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हम ने सुना था सहन ए चमन में कैफ़ के बादल छाए हैं हम भी गए थे जी
शेर होता है अब महीनों में ज़िंदगी ढल गई मशीनों में, प्यार की रौशनी नहीं मिलती उन मकानों
मीर ओ ग़ालिब बने यगाना बने आदमी ऐ ख़ुदा ख़ुदा न बने, मौत की दस्तरस में कब से
जागने वालो ता ब सहर ख़ामोश रहो कल क्या होगा किस को ख़बर ख़ामोश रहो, किस ने सहर
सर ही अब फोड़िए नदामत में नींद आने लगी है फ़ुर्क़त में, हैं दलीलें तेरे ख़िलाफ़ मगर सोचता
ठीक है ख़ुद को हम बदलते हैं शुक्रिया मश्वरत का चलते हैं, हो रहा हूँ मैं किस तरह
दिल ने वफ़ा के नाम पर कार ए वफ़ा नहीं किया ख़ुद को हलाक कर लिया ख़ुद को
वो जो था वो कभी मिला ही नहीं सो गरेबाँ कभी सिला ही नहीं, उस से हर दम
किस से इज़हार ए मुद्दआ कीजे आप मिलते नहीं हैं क्या कीजे ? हो न पाया ये फ़ैसला
बड़ा एहसान हम फ़रमा रहे हैं कि उन के ख़त उन्हें लौटा रहे हैं, नहीं तर्क ए मोहब्बत