मायूस ए शाम ए ग़म तुझे इस की ख़बर भी है

maayus e sham e gam tujhe is kee khabar bhi hai

मायूस ए शाम ए ग़म तुझे इस की ख़बर भी है तारीकियों की आड़ में नूर ए सहर

कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई ईसाई है

koi hndu koi muslim koi isaai hai

कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई ईसाई है सब ने इंसान न बनने की क़सम खाई है, इतनी ख़ूँ

जब तेरा हुक्म मिला, तर्क ए मुहब्बत कर दी

jab tera huqm mila tark e muhabbat kar dee

जब तेरा हुक्म मिला, तर्क ए मुहब्बत कर दी दिल मगर इस पे वो धड़का कि क़यामत कर

हमने सुना था फ़रिश्ते जान लेते है

humne suna tha farishte jaan lete hain

हमने सुना था फ़रिश्ते जान लेते है खैर छोड़ो ! अब तो इन्सान लेते है, इश्क़ ने ऐसी

इन्सान भूल चुका है इन्सान की क़ीमत

insan bhool chuka hai insan kee qeemat

इन्सान भूल चुका है इन्सान की क़ीमत बाज़ार में बढ़ गई आज हैवान की क़ीमत, इक्तिदार में आते

भला ग़मों से कहाँ हार जाने वाले थे

bhala gamon se kahan haar jaane wale the

भला ग़मों से कहाँ हार जाने वाले थे हम आँसुओं की तरह मुस्कुराने वाले थे, हम ही ने

मैं दिल पे जब्र करूँगा तुझे भुला दूँगा

main dil pe zabr karunga tujhe bhula dunga

मैं दिल पे जब्र करूँगा तुझे भुला दूँगा मरूँगा ख़ुद भी तुझे भी कड़ी सज़ा दूँगा, ये तीरगी

तुम दूर हो तो प्यार का मौसम न आएगा

tum door ho to pyar ka mausam na ayega

तुम दूर हो तो प्यार का मौसम न आएगा अब के बरस बहार का मौसम न आएगा, चूमूँगा

भड़काएँ मेरी प्यास को अक्सर तेरी आँखें

bhadkaaye meri pyas ko aksar teri aankhen

भड़काएँ मेरी प्यास को अक्सर तेरी आँखें सहरा मेरा चेहरा है समुंदर तेरी आँखें, फिर कौन भला दाद

इतनी मुद्दत बाद मिले हो

itni muddat baad mile ho

इतनी मुद्दत बाद मिले हो किन सोचों में गुम फिरते हो ? इतने ख़ाइफ़ क्यूँ रहते हो ?