गिरजा में मंदिरों में अज़ानों में बट गया

girija me mandiron me azanon me bat gaya

गिरजा में मंदिरों में अज़ानों में बट गया होते ही सुब्ह आदमी ख़ानों में बट गया, इक इश्क़

ज़मीन दी है तो थोड़ा सा आसमान भी दे

zameen dee hai to thoda saa aasmaan bhi de

ज़मीन दी है तो थोड़ा सा आसमान भी दे मेरे ख़ुदा मेरे होने का कुछ गुमान भी दे,

देखा हुआ सा कुछ है तो सोचा हुआ सा कुछ

dekha hua saa kuch hai to socha hua saa kuch

देखा हुआ सा कुछ है तो सोचा हुआ सा कुछ हर वक़्त मेरे साथ है उलझा हुआ सा

इंसान में हैवान यहाँ भी है वहाँ भी

insan me haiwan yahan bhi hai wahan bhi

इंसान में हैवान यहाँ भी है वहाँ भी अल्लाह निगहबान यहाँ भी है वहाँ भी, ख़ूँ ख़्वार दरिंदों

न जाने कौन सा मंज़र नज़र में रहता है

naa jaane kaun saa manzar nazar me rahta hai

न जाने कौन सा मंज़र नज़र में रहता है तमाम उम्र मुसाफ़िर सफ़र में रहता है, लड़ाई देखे

कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई ईसाई है

koi hindu koi muslim koi eesaai hai

कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई ईसाई है सब ने इंसान न बनने की क़सम खाई है, इतनी ख़ूँ

हर एक घर में दिया भी जले अनाज भी हो

har ek ghar me diya bhi jale anaj bhi ho

हर एक घर में दिया भी जले अनाज भी हो अगर न हो कहीं ऐसा तो एहतिजाज भी

कोशिश के बावजूद ये इल्ज़ाम रह गया

koshish ke bavjood ye ilzam rah gaya

कोशिश के बावजूद ये इल्ज़ाम रह गया हर काम में हमेशा कोई काम रह गया, छोटी थी उम्र

घर से निकले तो हो सोचा भी किधर जाओगे

ghar se nikale to ho socha bhi kidhar jaaoge

घर से निकले तो हो सोचा भी किधर जाओगे हर तरफ़ तेज़ हवाएँ हैं बिखर जाओगे, इतना आसाँ

ये कैसी कश्मकश है ज़िंदगी में

ye kaisi kashmakash hai zindagi me

ये कैसी कश्मकश है ज़िंदगी में किसी को ढूँडते हैं हम किसी में, जो खो जाता है मिल