राहें वही खड़ी थी मुसाफ़िर भटक गया…

raahe wahi khadi thi musafir bhatak gaya

राहें वही खड़ी थी मुसाफ़िर भटक गया एक लफ्ज़ आते आते लबो तक अटक गया, जिस पेड़ की

कभी दादी कभी नानी से अलग कर दिए गए…

kabhi dadi kabhi naani se alag kar diye gaye

कभी दादी कभी नानी से अलग कर दिए गए बच्चे परियों की कहानी से अलग कर दिए गए,

दोस्तों ! आज दिल में छुपे कुछ राज़ बयाँ करता हूँ…

dil me chupe kuch raaj bayan karta hoo

दोस्तों ! आज मैं दिल में छुपे कुछ राज़ बयाँ करता हूँ दुःख से जुड़े ग़ुरबत के दिनों

एक मंज़र यूं नजर आया कि मैं भी डर गया…

ek manzar yun nazar aaya ki main bhi dar gaya

  एक मंज़र यूं नजर आया कि मैं भी डर गया हाथ में रोटी थी जिसके वो भिखारी

जब तलक लगती नहीं है बोलियाँ मेरे पिता…

jab talak lagti nahi hai boliyan mere pita

जब तलक लगती नहीं है बोलियाँ मेरे पिता तब तलक उठती नहीं है डोलिया मेरे पिता, आज भी

घर जब बना लिया तेरे दर पर कहे बग़ैर…

घर जब बना लिया

घर जब बना लिया तेरे दर पर कहे बग़ैर जानेगा अब भी तू न मेरा घर कहे बग़ैर,

वो जिस का अक्स लहू को जगा दिया करता…

main usko khwab khwab me sada diya karta

वो जिस का अक्स लहू को जगा दिया करता मैं ख़्वाब ख़्वाब में उस को सदा दिया करता,

क्या आँधियाँ बड़ी आने वाली है….

kya aandhiya badi aane wali hai

क्या आँधियाँ बड़ी आने वाली है क्या कुछ बुरा होने वाला है ? इन्सान पहले से कुछ नहीं

उसके नज़दीक ग़म ए तर्क ए वफ़ा कुछ भी नहीं…

uske nazdik gam e tark e wafa kuch bhi nahi

उसके नज़दीक ग़म ए तर्क ए वफ़ा कुछ भी नहीं मुतमइन ऐसा है वो जैसे हुआ कुछ भी

एक दिन ख़ुद को अपने पास बिठाया हमने…

हैरतों के सिलसिले सोज़

एक दिन ख़ुद को अपने पास बिठाया हमने पहले यार बनाया फिर समझाया हमने, ख़ुद भी आख़िर कार