तेरे और मेरे बारे में जो मशहूर एक कहानी है

तेरे और मेरे बारे

तेरे और मेरे बारे में जो मशहूर एक कहानी है वही कहानी अब ज़माने के ज़हन से मिटानी

थक गया है मुसलसल सफ़र उदासी का

थक गया है मुसलसल

थक गया है मुसलसल सफ़र उदासी का और अब भी है मेरे शाने पे सर उदासी का, वो

कैसे कहे, क्या कहे इसी कशमकश में रह गए

कैसे कहे, क्या कहे

कैसे कहे, क्या कहे इसी कशमकश में रह गए हम अल्फाज़ ढूँढ़ते रहे, वो बात अपनी कह गए,

जंगल काट दिए और फिर शहर भी जला दिए

जंगल काट दिए और

जंगल काट दिए और फिर शहर भी जला दिए अपने घरो के चिराग़ लोगो ने ख़ुद बुझा दिए,

चीखते है दर ओ दीवार नहीं होता मैं

चीखते है दर ओ

चीखते है दर ओ दीवार नहीं होता मैं आँख खुलने पे भी बेदार नहीं होता मैं, ख़्वाब देखना

क़ुबूल है अब तो ज़िन्दगी का हर तोहफ़ा

क़ुबूल है अब तो

क़ुबूल है अब तो ज़िन्दगी का हर तोहफ़ा मैंने ख्वाहिशो का नाम बताना छोड़ दिया, जो दिल के

जुबां कड़वी, हलक सूखा, हैं साँसे मुनज़मिद मेरी

zuban kadwi halak sukha hai saanse munzamid

जुबां कड़वी, हलक सूखा, हैं साँसे मुनज़मिद मेरी ज़हर ने किया क्या आख़िर ज़रा सी चासनी दे कर,

अज़ब क़ातिब है इन्साँ में फ़रावानी नहीं भरता

अज़ब क़ातिब है इन्साँ

अज़ब क़ातिब है इन्साँ में फ़रावानी नहीं भरता दगाबाज़ी तो भरता है वफ़ादारी नहीं भरता, भरोसा था तभी

गम ए तन्हाई में राहत ए दिल का सबब है

गम ए तन्हाई में

गम ए तन्हाई में राहत ए दिल का सबब है एक ये चंचल सी हवा और अँधेरी रात,

यहाँ किसे ख़बर है कि ये उम्र बस

यहाँ किसे ख़बर है

यहाँ किसे ख़बर है कि ये उम्र बस इसी पे गौर करने में कट रही है, कि ये