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Sad Poetry

बिस्तर ए मर्ग पर ज़िंदगी की तलब

bistar e marg par

बिस्तर ए मर्ग पर ज़िंदगी की तलब जैसे ज़ुल्मत में हो रौशनी की तलब, कल तलक कमतरी जिन …

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दिल की इस दौर में क़ीमत नहीं होती शायद

dil ki is daur men

दिल की इस दौर में क़ीमत नहीं होती शायद सब की क़िस्मत में मुहब्बत नहीं होती शायद, फ़ैसला …

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सफ़र ए वफ़ा की राह में मंज़िल जफा की थी

safar e wafa ki raah men

सफ़र ए वफ़ा की राह में मंज़िल जफा की थी कागज़ का घर बना के भी ख्वाहिश हवा …

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भूख़ चेहरों पे लिए चाँद से प्यारे बच्चे

bhookh chehre pe liye chaand se

भूख़ चेहरों पे लिए चाँद से प्यारे बच्चे बेचते फिरते हैं गलियों में ग़ुबारे बच्चे, इन हवाओं से …

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पहले जो ख़ुद माँ के आंचल में छुप…

pahle jo khud maan ke aanchal men

पहले जो ख़ुद माँ के आंचल में छुप जाया करती थी आज वो ख़ुद किसी को आंचल में …

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बे नियाज़ी के सिलसिले में हूँ

be niyazi ke silsile me

बे नियाज़ी के सिलसिले में हूँ मैं कहाँ अब तेरे नशे में हूँ, हिज्र तेरा मुझे सताता है …

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दुख और तरह के हैं दुआ और तरह की

dukh aur tarah ke hai dua aur

दुख और तरह के हैं दुआ और तरह की और दामन ए क़ातिल की हवा और तरह की, …

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दिल भी बुझा हो शाम की परछाइयाँ भी हों

dil bhi bujha ho sham ki

दिल भी बुझा हो शाम की परछाइयाँ भी हों मर जाइये जो ऐसे में तन्हाइयाँ भी हों, आँखों …

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मज़लूमों के हक़ मे अब आवाज़…

mazlumo ke haq me ab awaz

मज़लूमों के हक़ मे अब आवाज़ उठाये कौन ? जल रही बस्तियाँ,आह ओ सोग मनाये कौन ? कौन …

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ठीक है ख़ुद को हम बदलते हैं

thik hai khud ko ham badalte hai

ठीक है ख़ुद को हम बदलते हैं शुक्रिया मश्वरत का चलते हैं, हो रहा हूँ मैं किस तरह …

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तुझे पुकारा है बे

तुझे पुकारा है बे इरादा

फिर हरीफ़ ए बहार

फिर हरीफ़ ए बहार हो बैठे

हर सम्त परेशाँ तिरी

हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने

सोच बदल जाती है

सोच बदल जाती है,हालात बदल जाते हैं

उजड़े हुए हड़प्पा के

उजड़े हुए हड़प्पा के आसार की तरह

निगाह ए यार के

निगाह ए यार के बदलने में कुछ देर नहीं लगती

कोई सुनता ही नहीं

कोई सुनता ही नहीं किस को सुनाने लग जाएँ

जानता हूँ कि तुझे

जानता हूँ कि तुझे साथ तो रखते है कई

मेरे उसके दरमियाँ ये

मेरे उसके दरमियाँ ये राब्ता है और बस

चल निकलती हैं ग़म

चल निकलती हैं ग़म ए यार से बातें क्या क्या

ऐसा है कि सब ख़्वाब

ऐसा है कि सब ख़्वाब मुसलसल नहीं होते

अब तक यही सुना

अब तक यही सुना था कि बाज़ार बिक गए

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तुझे पुकारा है बे

तुझे पुकारा है बे इरादा

फिर हरीफ़ ए बहार

फिर हरीफ़ ए बहार हो बैठे

हर सम्त परेशाँ तिरी

हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने