मैं तकिए पर सितारे बो रहा हूँ…
मैं तकिए पर सितारे बो रहा हूँ जन्म दिन है अकेला रो रहा हूँ, किसी …
मैं तकिए पर सितारे बो रहा हूँ जन्म दिन है अकेला रो रहा हूँ, किसी …
मुहताज हमसफ़र की मसाफ़त न थी मेरी सब साथ थे किसी से रिफ़ाक़त न थी …
राहें वही खड़ी थी मुसाफ़िर भटक गया एक लफ्ज़ आते आते लबो तक अटक गया, …
कभी दादी कभी नानी से अलग कर दिए गए बच्चे परियों की कहानी से अलग …
दोस्तों ! आज मैं दिल में छुपे कुछ राज़ बयाँ करता हूँ दुःख से जुड़े …
एक मंज़र यूं नजर आया कि मैं भी डर गया हाथ में रोटी थी …
ऐसा अपनापन भी क्या जो अज़नबी महसूस हो साथ रह कर भी मुझे तेरी कमी …
जब तलक लगती नहीं है बोलियाँ मेरे पिता तब तलक उठती नहीं है डोलिया मेरे …
घर जब बना लिया तेरे दर पर कहे बग़ैर जानेगा अब भी तू न मेरा …
वो जिस का अक्स लहू को जगा दिया करता मैं ख़्वाब ख़्वाब में उस को …