सहर जब मुस्कुराई तब कहीं तारों को नींद आई

sahar jab muskuraai tab

सहर जब मुस्कुराई तब कहीं तारों को नींद आई बहुत मुश्किल से कल शब दर्द के मारों को

न तो उस्लूब न अंदाज़ गिराँ गुज़रा है

naa to usloob na

न तो उस्लूब न अंदाज़ गिराँ गुज़रा है उस पे मेरा फ़न ए परवाज़ गिराँ गुज़रा है, ये

बेबसी से हाथ अपने मलने वाले हम नहीं

bebasi se haath apne

बेबसी से हाथ अपने मलने वाले हम नहीं मेहरबानी पर किसी की पलने वाले हम नहीं, रहगुज़र अपनी

वो हर मक़ाम से पहले वो हर मक़ाम के बाद

wo har muqam se

वो हर मक़ाम से पहले वो हर मक़ाम के बाद सहर थी शाम से पहले सहर है शाम

हादसे ज़ीस्त की तौक़ीर बढ़ा देते हैं

haadse zist ki tauqeer

हादसे ज़ीस्त की तौक़ीर बढ़ा देते हैं ऐ ग़म ए यार तुझे हम तो दुआ देते हैं, तेरे

ये शीशे, ये सपने, ये रिश्ते ये धागे

ye shishe ye sapne

ये शीशे, ये सपने, ये रिश्ते ये धागे किसे क्या ख़बर है कहाँ टूट जायें ? मुहब्बत के

आसमानों से न उतरेगा सहीफ़ा कोई

aasmaan se na utarega

आसमानों से न उतरेगा सहीफ़ा कोई ऐ ज़मीं ढूँढ ले अब अपना मसीहा कोई, फिर दर ए दिल

दो जहाँ के हुस्न का अरमान आधा रह गया

do jahan ke husn

दो जहाँ के हुस्न का अरमान आधा रह गया इस सदी के शोर में इंसान आधा रह गया,

कहिए ऐसी बात जो दिल में लगा दे आग सी

kahiye aisi baat jo

कहिए ऐसी बात जो दिल में लगा दे आग सी क्या भला होगा किसी का दास्तान ए तूर

जिस ने बख़्शी है फ़ुग़ाँ उस को सुना भी न सकूँ

jis ne bakhshi hai

जिस ने बख़्शी है फ़ुग़ाँ उस को सुना भी न सकूँ कैसा नग़्मा है जिसे साज़ पे गा