असर उस को ज़रा नहीं होता
असर उस को ज़रा नहीं होता रंज राहत फ़ज़ा नहीं होता, बेवफ़ा कहने की शिकायत है तो भी …
असर उस को ज़रा नहीं होता रंज राहत फ़ज़ा नहीं होता, बेवफ़ा कहने की शिकायत है तो भी …
, गुलों के रुख़ पे वही ताज़गी का आलम है न जाने उन को ग़म ए रोज़गार क्यूँ …
और कोई दम की मेहमाँ है गुज़र जाएगी रात ढलते ढलते आप अपनी मौत मर जाएगी रात, ज़िंदगी …
मुझ से बेहतर तो मिल गया है तुम्हें और अल्लह से क्या गिला है तुम्हें, हम इकट्ठे नहीं …
किस को रौशन बना रहे हो तुम इतना जो बुझते जा रहे हो तुम लोग पागल बनाए जा …
अभी तो ज़िंदा हैं कहते हो यारा क्या होगा हमारे बाद न जाने तुम्हारा क्या होगा हमारा ख़ुद …
होती है तेरे नाम से वहशत कभी कभी बरहम हुई है यूँ भी तबीअत कभी कभी, ऐ दिल …
वो दिलनवाज़ है लेकिन नज़रशनास नहीं मेरा इलाज मेरे चारागर के पास नहीं, तड़प रहे हैं ज़बाँ पर …
कुछ यादगार ए शहर ए सितमगर ही ले चलें आए हैं उस की गली में तो पत्थर ही …
झूठ का बोलना आसान नहीं होता है दिल तेरे बाद परेशान नहीं होता है, सब तेरे बाद यही …