मेरी तेरी दूरियाँ हैं अब इबादत के ख़िलाफ़

meri teri dooriyan hai ab ibadat ke khilaf

मेरी तेरी दूरियाँ हैं अब इबादत के ख़िलाफ़ हर तरफ़ है फ़ौज आराई मोहब्बत के ख़िलाफ़, हर्फ़ ए

ज़ौक़ ए गुनाह ओ अज़्म ए पशेमाँ लिए हुए

zauq e gunah o

ज़ौक़ ए गुनाह ओ अज़्म ए पशेमाँ लिए हुए क्या क्या हुनर हैं हज़रत ए इंसाँ लिए हुए,

किसी के नाम रुत्बा और न ख़द्द ओ ख़ाल से मतलब

kisi ke naam rutba

किसी के नाम रुत्बा और न ख़द्द ओ ख़ाल से मतलब किरामन कातिबीं को ख़ल्क़ के आमाल से

आसमानों से न उतरेगा सहीफ़ा कोई

aasmaan se na utarega

आसमानों से न उतरेगा सहीफ़ा कोई ऐ ज़मीं ढूँढ ले अब अपना मसीहा कोई, फिर दर ए दिल

दो जहाँ के हुस्न का अरमान आधा रह गया

do jahan ke husn

दो जहाँ के हुस्न का अरमान आधा रह गया इस सदी के शोर में इंसान आधा रह गया,

संसार से भागे फिरते हो भगवान को तुम क्या पाओगे

sansar se bhaage firte

संसार से भागे फिरते हो भगवान को तुम क्या पाओगे इस लोक को भी अपना न सके उस

सीनों में अगर होती कुछ प्यार की गुंजाइश

sino me agar hoti pyar ki

सीनों में अगर होती कुछ प्यार की गुंजाइश हाथों में निकलती क्यूँ तलवार की गुंजाइश, पिछड़े हुए गाँव

ज़ुल्म की हद ए इंतेहा को मिटाने का वक़्त है

zulm ki had e inteha

ज़ुल्म की हद ए इंतेहा को मिटाने का वक़्त है अब मज़लूमों का साथ निभाने का वक़्त है,

कितना बुलंद मर्तबा पाया हुसैन ने

kitna buland martaba paya

कितना बुलंद मर्तबा पाया हुसैन ने राह ए ख़ुदा में घर को लुटाया हुसैन ने, कैसे बयाँ हो

हिंदू या मुस्लिम के अहसासात को मत…

hindu ya muslim ke ahsas ko mat chhediye

हिंदू या मुस्लिम के अहसासात को मत छेड़िए अपनी कुर्सी के लिए जज़्बात को मत छेड़िए, हम में