तुम्हारी फ़ाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है

tumhari faaielon me gaanv ka mausam gulabi hai

तुम्हारी फ़ाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है मगर ये आँकड़ें झूठे हैं ये दावा किताबी है, उधर

आँख पर पट्टी रहे और अक़्ल पर ताला रहे

aankh par patti rahe aur aql par taala rahe

आँख पर पट्टी रहे और अक़्ल पर ताला रहे अपने शाहे वक़्त का यूँ मर्तबा आला रहे, देखने

सौ में सत्तर आदमी फ़िलहाल जब नाशाद हैं

sau me sattar aadmi filhal jab naashaad hain

सौ में सत्तर आदमी फ़िलहाल जब नाशाद हैं दिल रखकर हाथ कहिए देश क्या आज़ाद है ? कोठियों

वेद में जिनका हवाला हाशिए पर भी नहीं

ved me jinka hawala haashiye par bhi nahi

वेद में जिनका हवाला हाशिए पर भी नहीं वे अभागे आस्था विश्वास लेकर क्या करें ? लोक रंजन

भूख के एहसास को शेर ओ सुख़न तक ले चलो

bhookh ke ehsas ko sher o sukhan tak le chalo

भूख के एहसास को शेर ओ सुख़न तक ले चलो या अदब को मुफ़्लिसों की अंजुमन तक ले

जो डलहौज़ी न कर पाया वो ये हुक्काम कर देंगे

jo dalhauji na kar paya wo ye huqqam kar denge

जो डलहौज़ी न कर पाया वो ये हुक्काम कर देंगे कमीशन दो तो हिंदुस्तान को नीलाम कर देंगे,

जो उलझकर रह गई है फ़ाइलों के जाल में

jo ulajh kar rah gayi hai faailon ke jaal me

जो उलझकर रह गई है फ़ाइलों के जाल में गाँव तक वह रौशनी आएगी कितने साल में ?

ये अमीरों से हमारी फ़ैसलाकुन जंग थी

ye amiron se humari faislakun jung thi

ये अमीरों से हमारी फ़ैसलाकुन जंग थी फिर कहाँ से बीच में मस्जिद व मंदिर आ गए ?

न महलों की बुलंदी से न लफ़्ज़ों के नगीने से

na mahlon ki bulandi se na lafzon ke nagine se

न महलों की बुलंदी से न लफ़्ज़ों के नगीने से तमद्दुन में निखार आता है ‘घीसू’ के पसीने

जिसके सम्मोहन में पागल, धरती है, आकाश भी है

jiske sammohan me pagal dharti hai aakash bhi hai

जिसके सम्मोहन में पागल, धरती है, आकाश भी है एक पहेली सी से दुनिया, गल्प भी है, इतिहास