बादशाहों को सिखाया है क़लंदर होना
बादशाहों को सिखाया है क़लंदर होना आप आसान समझते हैं मुनव्वर होना, एक आँसू भी …
बादशाहों को सिखाया है क़लंदर होना आप आसान समझते हैं मुनव्वर होना, एक आँसू भी …
सौ में सत्तर आदमी फ़िलहाल जब नाशाद हैं दिल रखकर हाथ कहिए देश क्या आज़ाद …
ख़ुद्दार मेरे शहर का फाक़ो से मर गया राशन जो आ रहा था वो अफ़सर …
किसी झूठीं वफ़ा से दिल को बहलाना नहीं आता मुझे घर काग़ज़ी फूलों से महकाना …
दुनियाँ ए अक़ीदत में अजब रस्म चली है जो दश्त में मजनूँ था वो मरकज़ …
ग़म ए जहाँ को शर्मसार करने वाले क्या हुए वो सारी उम्र इंतिज़ार करने वाले …
सरहदों पर है अपने जवानों का गम और बस्ती में जलते मकानों का गम, फिर …
उनसे मिलिए जो यहाँ फेर बदल वाले है हमसे मत बोलिए हम लोग गज़ल वाले …
आरज़ी ताक़तें तुम्हारी है पर ख़ुदा हमारा है अपने अक्स पर न इतराओ आईना हमारा …