अब भला छोड़ के घर क्या करते…
अब भला छोड़ के घर क्या करते शाम के वक़्त सफ़र क्या करते, तेरी मसरूफ़ियतें …
अब भला छोड़ के घर क्या करते शाम के वक़्त सफ़र क्या करते, तेरी मसरूफ़ियतें …
शाम आई तिरी यादों के सितारे निकलेरंग ही ग़म के नहीं नक़्श भी प्यारे निकले, …
ताज़ा मोहब्बतों का नशा जिस्म-ओ-जाँ में हैफिर मौसम-ए-बहार मिरे गुल्सिताँ में है, इक ख़्वाब है …