पराई आग पे रोटी नहीं बनाऊँगा
पराई आग पे रोटी नहीं बनाऊँगा मैं भीग जाऊँगा छतरी नहीं बनाऊँगा, अगर ख़ुदा ने बनाने का इख़्तियार …
पराई आग पे रोटी नहीं बनाऊँगा मैं भीग जाऊँगा छतरी नहीं बनाऊँगा, अगर ख़ुदा ने बनाने का इख़्तियार …
देखो अभी लहू की एक धार चल रही है बाज़ू कटे हैं फिर भी तलवार चल रही है, …
बदन और रूह में झगड़ा पड़ा है कि हिस्सा इश्क़ में किस का बड़ा है ? हुजूम ए …
हर गली कूचे में रोने की सदा मेरी है शहर में जो भी हुआ है वो ख़ता मेरी …
दिल की बात लबों पर ला कर अब तक हम दुख सहते हैं हम ने सुना था इस …
अगर न रोये तो आँखों पे बोझ पड़ता है करें जो गिर्या तो रातों पे बोझ पड़ता है, …
आइए आसमाँ की ओर चलें साथ ले कर ज़मीं का शोर चलें, चाँद उल्फ़त का इस्तिआरा है जिस …
ख़िज़ाँ में ओढ़ के क़ौल ओ क़रार का मौसम बहार ढूँढ रही है बहार का मौसम, वो मेरे …
रंग पैराहन का ख़ुशबू ज़ुल्फ़ लहराने का नाम मौसम ए गुल है तुम्हारे बाम पर आने का नाम, …
मेरे ही लहू पर गुज़र औक़ात करो हो मुझ से ही अमीरों की तरह बात करो हो, दिन …