वामपंथी सोच का आयाम है नागार्जुन

vaampanthi soch ka aayaam hai nagarjun

वामपंथी सोच का आयाम है नागार्जुन ज़िंदगी में आस्था का नाम है नागार्जुन, ग्रामगंधी सर्जना, उसमें जुलाहे का

नीलोफ़र, शबनम नहीं, अँगार की बातें करो

nilofar shabnam nahi angaar kee baaten karo

नीलोफ़र, शबनम नहीं, अँगार की बातें करो वक़्त के बदले हुए मेयार की बातें करो, भाप बन सकती

भुखमरी की ज़द में है या दार के साये में है

bhookhmari kee zad me hai yaa daar ke saaye me hai

भुखमरी की ज़द में है या दार के साये में है अहले हिंदुस्तान अब तलवार के साये में

उनका दावा मुफ़लिसी का मोर्चा सर हो गया

unka daawa muflisi ka morcha sar ho gaya

उनका दावा मुफ़लिसी का मोर्चा सर हो गया पर हक़ीक़त ये है मौसम और बदतर हो गया, बंद

कौन जात हो भाई ?

kaun jaat ho bhai dalit hai saab

कौन जात हो भाई? “दलित हैं साब!” नहीं मतलब किसमें आते हो? आपकी गाली में आते हैं गंदी

मेरे ख़्वाबों से ओझल उस का चेहरा हो गया है

mere khwabo se ojhal us ka chehra ho gaya hai

मेरे ख़्वाबों से ओझल उस का चेहरा हो गया है मैं ऐसा चाहता कब था पर ऐसा हो

बताता है मुझे आईना कैसी बे रुख़ी से

batata hai mujhe aaeena kaisi be rukhi se

बताता है मुझे आईना कैसी बे रुख़ी से कि मैं महरूम होता जा रहा हूँ रौशनी से, किसे

शिकस्त ए ख़्वाब का हमें मलाल क्यूँ नहीं रहा

shikast e khwab ka humen malal kyun nahi raha

शिकस्त ए ख़्वाब का हमें मलाल क्यूँ नहीं रहा बिछड़ गए तो फिर तिरा ख़याल क्यूँ नहीं रहा

यहाँ तकरार ए साअत के सिवा क्या रह गया है

yahan taqrar e saaat ke siwa kya rah gaya hai

यहाँ तकरार ए साअत के सिवा क्या रह गया है मुसलसल एक हालत के सिवा क्या रह गया

ख़्वाब में कोई मुझ को आस दिलाने बैठा था

khwab me koi mujh ko aas dilaane baitha tha

ख़्वाब में कोई मुझ को आस दिलाने बैठा था जागा तो मैं ख़ुद अपने ही सिरहाने बैठा था,